Thursday, September 2, 2010

क्या आप जानते हैं जान लेवा बन रहा है पानी

दूषित जल से सिंचिंत फसलों के इस्तेमाल से मनुष्य पर पडऩे वाले दुष्प्रभाव

हैपेटाइटिस-ई जो दूषित जल से फैलता है,

शहर के अमानीशाह नाले व इंडस्ट्रियल एरिया में पानी में बहाए जाने वाले हैवी मैटल्स व डिस्चार्ज टॉक्सिक्स का इस्तेमाल सिंचाई में भी होता है। ऐसे में ये खतरनाक तत्व फल व सब्जियों के जरिए हमारे शरीर तक पहुंच जाते हैं।

सांगानेर में स्क्रीन रंगाई-छपाई उद्योगों से दूषित पानी / एवं मनुष्य पर पडऩे वाले दुष्प्रभाव ?

ड्रिंकिंग वाटर में 1.5 पीपीएम फ्लोराइड की मात्रा का मानक सही है, लेकिन जो पानी हम पी रहे हैं उसमें ये संख्या 3 से 10 पीपीएम तक पहुंच गई है, जो कि क्षेत्र विशेष पर निर्भर है। जिसका दुष्प्रभाव कुछ ही वर्षों में हमारे शरीर पर साफ दिखाई देने लगता है। हड्डियां कमजोर पडऩे लगती हैं, व्यक्ति पर 40 की उम्र में ही 60 जैसा असर दिखने लगता है। फ्लोराइड का असर दांतों पर ही नहीं पूरे शरीर पर पड़ता है।

सांगानेर के आसपास के क्षेत्र में फ्लोराइड की समस्या विकट रूप ले चुकी है।

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